Shravana Putrada Ekadashi Vrat in Hindi 2025-श्रावण पुत्रदा एकादशी : व्रत कथा, विधि और महत्व

जानिए श्रावण पुत्रदा एकादशी 2025 की तिथि, व्रत कथा, पूजा विधि और इसका धार्मिक महत्व। यह एकादशी संतान प्राप्ति और मोक्ष के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है।

Sachin Kumar

6 days ago

 Shravana Putrada Ekadashi Vrat in Hindi 2025

श्रावण पुत्रदा एकादशी 2025: व्रत कथा, विधि और महत्व

श्रावण मास में आने वाली पुत्रदा एकादशी हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और फलदायी मानी जाती है। यह व्रत विशेष रूप से उन दंपतियों द्वारा रखा जाता है जो संतान प्राप्ति की कामना करते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और व्रत रखने से न केवल संतान सुख की प्राप्ति होती है, बल्कि पूर्व जन्मों के पाप भी नष्ट होते हैं।

इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे shravana putrada ekadashi in hindi, shravan maas putrada ekadashi vrat katha, shravana putrada ekadashi vrat, और shravana putrada ekadashi vrat vidhi के बारे में।

श्रावण पुत्रदा एकादशी का परिचय

श्रावण पुत्रदा एकादशी श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह व्रत विशेष रूप से उन दंपतियों के लिए महत्वपूर्ण है जो संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं। इसे पवित्रा एकादशी या पवित्रोपना एकादशी भी कहा जाता है।

इस व्रत का महत्व

  • संतान प्राप्ति की कामना रखने वाले दंपतियों के लिए यह व्रत अत्यंत फलदायी है।

  • यह व्रत पूर्व जन्मों के पापों को नष्ट करता है।

  • भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है।

shravan maas putrada ekadashi vrat katha

इस एकादशी की कथा द्वापर युग के राजा महीजित से जुड़ी है। राजा महीजित महिष्मति नगरी के धर्मपरायण शासक थे, लेकिन संतानहीन थे। उन्होंने अपने राज्य में कभी अन्याय नहीं किया, फिर भी संतान सुख से वंचित थे।

एक दिन उनके मंत्री ऋषि लोमश से मिले, जिन्होंने ध्यान करके बताया कि राजा ने पूर्व जन्म में एक प्यासी गाय को जल पीने से रोक दिया था। उस पाप के कारण उन्हें इस जन्म में संतान नहीं मिली। ऋषि ने उपाय बताया कि यदि राजा और उनकी प्रजा श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत रखें और रात्रि जागरण करें, तो राजा को संतान प्राप्त होगी।

सभी ने व्रत रखा और रानी को एक तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हुई। इस कथा से यह संदेश मिलता है कि कर्मों का फल अवश्य मिलता है, लेकिन भक्ति और तप से पापों का प्रायश्चित संभव है।

shravana putrada ekadashi vrat

श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत अत्यंत कठोर होता है, लेकिन इसका फल भी उतना ही महान होता है। यह व्रत विशेष रूप से विवाहित दंपतियों द्वारा रखा जाता है।

व्रत के लाभ

  • संतान प्राप्ति की संभावना बढ़ती है।

  • मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

  • भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

shravana putrada ekadashi vrat vidhi

इस व्रत को सही विधि से करना अत्यंत आवश्यक है। नीचे दिए गए चरणों का पालन करके आप व्रत को सफल बना सकते हैं।

व्रत करने की विधि

  1. स्नान और संकल्प: प्रातःकाल स्नान करके व्रत का संकल्प लें।

  2. पूजा सामग्री तैयार करें: भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण की मूर्ति स्थापित करें। दीपक जलाएं, पुष्प, पंचामृत, तुलसी पत्र, फल और मिठाई अर्पित करें।

  3. मंत्र जाप और पाठ: विष्णु सहस्त्रनाम, श्री हरि स्तोत्र, कृष्ण महामंत्र का पाठ करें।

  4. रात्रि जागरण: रात्रि में भजन, कीर्तन और विष्णु नाम का जाप करें।

  5. पारण विधि: अगले दिन द्वादशी तिथि में सूर्योदय के बाद पारण करें। समय का विशेष ध्यान रखें—पारण हरि वासर के बाद ही करें।

अतिरिक्त जानकारी और सुझाव

व्रत के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

  • व्रत के दिन अनाज, नमक, प्याज, लहसुन आदि का सेवन न करें।

  • फल, दूध, और सात्विक भोजन ही लें (यदि निर्जला व्रत संभव न हो)।

  • व्रत के दौरान संयम और श्रद्धा बनाए रखें।

व्रत के दौरान बोले जाने वाले मंत्र

  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

  • श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव

  • हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे

FAQ Section

Q1: श्रावण पुत्रदा एकादशी कब मनाई जाती है?

A: यह व्रत श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। 2025 में यह 5 अगस्त को है।

Q2: क्या यह व्रत केवल महिलाओं को करना चाहिए?

A: नहीं, यह व्रत पति-पत्नी दोनों को मिलकर करना चाहिए। इससे व्रत का फल दोगुना होता है।

Q3: व्रत के दौरान क्या खाना चाहिए?

A: फल, दूध, और सात्विक भोजन जैसे आलू, सेंधा नमक आदि का सेवन किया जा सकता है। अनाज और तामसिक भोजन से परहेज करें।

Q4: व्रत की कथा सुनना क्यों आवश्यक है?

A: व्रत की पूर्णता के लिए कथा सुनना आवश्यक है। इससे व्रत का पुण्य फल प्राप्त होता है।

Q5: व्रत का पारण कब और कैसे करना चाहिए?

A: द्वादशी तिथि में सूर्योदय के बाद, हरि वासर समाप्त होने पर पारण करना चाहिए। 2025 में पारण का समय 6 अगस्त को सुबह 5:45 से 8:26 बजे तक है।

निष्कर्ष

श्रावण पुत्रदा एकादशी एक अत्यंत शुभ और फलदायी व्रत है, जो न केवल संतान प्राप्ति की कामना को पूर्ण करता है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति और पापों के प्रायश्चित का मार्ग भी प्रशस्त करता है। यदि आप इस व्रत को श्रद्धा और विधि-विधान से करते हैं, तो निश्चित ही भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होगी।

इसलिए इस वर्ष shravana putrada ekadashi vrat को पूरी श्रद्धा और विधि से करें और अपने जीवन में सुख, शांति और संतान सुख प्राप्त करें।