हरतालिका तीज व्रत 2025: तिथि, कथा, पूजा विधि और महत्व

जानिए हरतालिका तीज व्रत 2025 की सही तिथि, पूजा विधि, व्रत कथा और सांस्कृतिक महत्व। यह व्रत देवी पार्वती की भक्ति और वैवाहिक सुख के लिए रखा जाता है।

Naina Pal

16 days ago

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हरतालिका तीज व्रत 2025: तिथि, कथा, पूजा विधि और महत्व

हरतालिका तीज व्रत हिंदू धर्म में महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक अत्यंत पवित्र और श्रद्धा से भरा पर्व है। यह व्रत देवी पार्वती की तपस्या और भगवान शिव से उनके विवाह की कथा को समर्पित है। विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए यह व्रत करती हैं, जबकि अविवाहित कन्याएं शिव जैसा वर पाने की कामना से इसे करती हैं।

इस लेख में हम जानेंगे हरतालिका तीज व्रत कब है, इसकी कथा, पूजा विधि, और इससे जुड़ी सांस्कृतिक मान्यताएं।

हरतालिका तीज व्रत कब है

वर्ष 2025 में हरतालिका तीज व्रत मंगलवार, 26 अगस्त को रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार तृतीया तिथि 25 अगस्त को दोपहर 12:35 बजे से शुरू होकर 26 अगस्त को दोपहर 1:55 बजे तक रहेगी। चूंकि तृतीया तिथि उदयकाल में 26 अगस्त को पड़ रही है, इसलिए व्रत इसी दिन रखा जाएगा।

शुभ मुहूर्त

  • प्रातःकाल पूजा मुहूर्त: सुबह 6:11 बजे से 8:42 बजे तक

  • प्रदोषकाल पूजा मुहूर्त: शाम 6:46 बजे से रात 1:55 बजे तक

हरतालिका तीज व्रत की कथा

इस व्रत की कथा देवी पार्वती और भगवान शिव के दिव्य मिलन से जुड़ी है। कथा के अनुसार:

  • पार्वती जी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया।

  • उनके पिता हिमालय ने नारद जी के कहने पर विष्णु जी से विवाह तय कर दिया।

  • पार्वती जी की सखी ने उन्हें वन में ले जाकर तप करने में सहायता की।

  • पार्वती जी ने रेत से शिवलिंग बनाकर पूजा की और भगवान शिव ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया।

इस घटना के कारण इस व्रत का नाम हरतालिका पड़ा — "हरत" का अर्थ है हरण करना और "आलिका" का अर्थ है सखी।

हरतालिका तीज व्रत विधि

यह व्रत निर्जला होता है, यानी बिना जल और अन्न के रखा जाता है। पूजा विधि इस प्रकार है:

तैयारी

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।

  • मिट्टी या रेत से भगवान शिव और पार्वती की प्रतिमा बनाएं।

  • पूजा स्थल को केले के पत्तों, फूलों और रंगोली से सजाएं।

पूजा के चरण

  1. कलश स्थापना करें और श्रीफल रखें।

  2. गणेश जी की पूजा करें।

  3. शिव-पार्वती की पूजा करें — बेलपत्र, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।

  4. व्रत कथा सुनें या पढ़ें।

  5. रात्रि जागरण करें — चार प्रहरों में आरती और भजन करें।

व्रत का पारण

अगले दिन सुबह पूजा के बाद ककड़ी या प्रसाद खाकर व्रत का पारण करें।

सांस्कृतिक महत्व और क्षेत्रीय परंपराएं

  • यह व्रत देवी पार्वती की भक्ति और स्त्री शक्ति का प्रतीक है।

  • उत्तर भारत में महिलाएं समूह में पूजा करती हैं और लोकगीत गाती हैं।

  • दक्षिण भारत में इसे गौरी हब्बा के नाम से मनाया जाता है।

अतिरिक्त सुझाव

पहली बार व्रत रखने वालों के लिए

  • व्रत से एक दिन पहले भरपूर जल पिएं।

  • पूजा सामग्री पहले से तैयार रखें।

  • कथा की प्रिंटेड प्रति रखें या मोबाइल में सेव करें।

क्या करें और क्या न करें

  • पारंपरिक वस्त्र पहनें और सोलह श्रृंगार करें।

  • सकारात्मक और भक्तिपूर्ण मन रखें।

  • व्रत के दौरान जल या अन्न न लें।

  • रात्रि में न सोएं — जागरण आवश्यक है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रश्न 1: हरतालिका तीज व्रत कौन रख सकता है?

उत्तर: विवाहित महिलाएं, अविवाहित कन्याएं और विधवा महिलाएं भी पूजा कर सकती हैं।

प्रश्न 2: क्या व्रत में पानी पी सकते हैं?

उत्तर: यह व्रत निर्जला होता है, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से फलाहार किया जा सकता है।

प्रश्न 3: पूजा में क्या अर्पित करें?

उत्तर: बेलपत्र, फल, मिठाई, सोलह श्रृंगार की सामग्री, पंचामृत, धूप-दीप आदि।

प्रश्न 4: क्या जागरण जरूरी है?

उत्तर: हां, चार प्रहरों में आरती और भजन करना आवश्यक है।

प्रश्न 5: व्रत का पारण कैसे करें?

उत्तर: अगली सुबह पूजा के बाद ककड़ी या प्रसाद खाकर व्रत समाप्त करें।

निष्कर्ष

हरतालिका तीज व्रत नारी शक्ति, भक्ति और वैवाहिक प्रेम का प्रतीक है। यह व्रत देवी पार्वती की तपस्या और भगवान शिव से उनके मिलन की स्मृति में मनाया जाता है। सही विधि से व्रत करने पर अखंड सौभाग्य, सुखी वैवाहिक जीवन और शिव-पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है।